DEPARTMENT OF AGRICULTURE, NARPATGANJ

नरपतगंज कृषि विभाग में आपका स्वागत है !

Design By: - ABHISHEK KUMAR BHAGAT

SRI SANJAY KUMAR SHARMA

DISTRICT AGRICULTURE OFFICER

ARARIA

SUDHANSHU KUMAR

SUB DIVISION AGRICULTURE OFFICER

FORBESGANJ, BHARGAMA, NARPATGANJ

RAJESHWAR PRASAD SINGH

BLOCK AGRICULTURE OFFICER

NARPATGANJ

SUMIT KUMAR

AGRICULTURE CORDINATURE

PANCHAYAT:- KHAIRA, MADHURA UTTAR, NATHPUR, MADHURA SOUTH, DARGAHIGANJ, MADHURA SOUTH

Vishal Thakur

AGRICULTURE CORDINATURE

PANCHAYAT:- SONAPUR, BHANGHI, NAWABGANJ, ANCHRA, POSDAHA, BADHEPARA

SHRUTI KARN

AGRICULTURE CORDINATURE

PANCHAYAT- PALASI, TAMGANJ, REWAHI, KHABDAH, FARHI,

SURYAKANT KUMAR

AGRICULTURE CORDINATURE

PANCHAYAT:- FATEHPUR, PITHAURA, GOKHLAPUR, MIRDAUL, BARHARA , GODRAHA VISHANPUR

DHARMVEER GUPTA

AGRICULTURE CORDINATURE

PANCHAYAT:- BASMATIYA, BELA, BABUWAN, PATHRAHA, MANIKPUR

SONU SUMAN

ATM

AATMA

ABHISHEK KUMAR BHAGAT

KISAN SALAHKAR

MADHURA UTTAR, DARGAHIGANJ

RANJIT KUMAR

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT- SONAPUR, BASMATIYA, PATHRAHA

ANIMESH RAKSHIT

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT- MANIKPUR, ANCHARA , BELA

SUMAN KUMAR

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT:- BHANGHI, BABUWAN

PRAVIN KUMAR

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT:- PALASI, REWAHI, TAMGANJ

SURENDRA KUMAR RAM

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT:- RAMGHAT, NATHPUR

UMESH KUMAR MANDAL

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT:- FARHI, BADHARA

PRAMOD KUMAR DEO

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT:- MADHURA SOUTH, PITHAURA

SANJAY DAS

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT:- NAWABGANJ, MADHURA PASHCHIM

ARCHANA KUMARI

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT:- GODRAHA BISHANPUR

CHANDAN SAH

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT:- FATEHPUR, KHABDAH

PAPPU KUMAR

KISAN SALAHKAR

PANCHAYAT:- MIRDAUL, GOKHLAPUR

SANTOSH KUMAR SINGH

EXECUTIVE ASSISTANT

VIKKY KUMAR PODDAR

ACCOUNTANT

कृषि यांत्रिकरण

प्रिय किसान बन्धु बिहार सरकार एवं भारत सरकार द्वारा किसानों की सुविधा एवं कृषि उत्पादकता बढ़ाने हेतु प्रत्येक वर्ष अनुदानित दर पर कृषि यंत्र की योजना आरम्भ की गई है , इस योजना की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन संचालित की जाती है l इस योजना का लाभ एवं विशेष जानकारी हेतु अपने पंचायत के किसान सलाहकार अथवा कृषि समन्यव्यक के संपर्क करे l

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DBT हेतु पंजीकरण

बिहार सरकार एवं भारत सरकार द्वारा कृषि विभाग में संचालित योजनओं का लाभ DBT SYSTEM से किये जाने का प्रावधान किया गया है , अतः इस SYSTEM में किसानो का पंजीकरण आवश्यक है , इस SYSTEM द्वारा पंजीकृत किसान ही कृषि विभाग की विभिन्न योजनओं का लाभ प्राप्त कर सकते है

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मृदा स्वास्थ्य कार्ड

मृदा स्वास्थ्य कार्ड भारत सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है , इस योजना में राज्य एवं देश के सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना सरकार का लक्ष्य है ! इसमें जीपीएस आधारित ग्रिड सिस्टम से खेतों की मिट्टी संग्रहित कर प्रयोगशाला भेजा जाता है , प्रयोगशाला में मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्त्व का जांच कर उर्वरक की उपयुक्त मात्रा बताई जाती है ताकि फसल को उपयुक्त पोषक तत्व मिल सके इस योजना में, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जाता है, जिसमें उनके खेत की मिट्टी की पूरी जानकारी लिखी होती है जैसे उसमे कितनी-कितनी मात्रा किन-किन पोषक तत्वों की है और कौन-कौनसा उर्वरक किसानों को अपने खेतों में उपयोग करना होगा। यह योजना भारत के हर क्षेत्र में उपलब्ध है।

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जैविक खेती

भारत वर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और कृषकों की मुख्य आय का साधन खेती है। हरित क्रांति के समय से बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए एवं आय की दृष्टि से उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है अधिक उत्पादन के लिये खेती में अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरको एवं कीटनाशक का उपयोग करना पड़ता है जिससे सीमान्य व छोटे कृषक के पास कम जोत में अत्यधिक लागत लग रही है और जल, भूमि, वायु और वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है साथ ही खाद्य पदार्थ भी जहरीले हो रहे हैं। इसलिए इस प्रकार की उपरोक्त सभी समस्याओं से निपटने के लिये गत वर्षों से निरन्तर टिकाऊ खेती के सिद्धान्त पर खेती करने की सिफारिश की गई, जिसे प्रदेश के कृषि विभाग ने इस विशेष प्रकार की खेती को अपनाने के लिए, बढ़ावा दिया जिसे हम जैविक खेती के नाम से जानते है। भारत सरकार भी इस खेती को अपनाने के लिए प्रचार-प्रसार कर रही है।

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खरीफ योजना

कार्य प्रगति पर है , असुविधा के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ l

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गरमा योजना( जायद फसल )

कार्य प्रगति पर है , असुविधा के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ l

रबी योजना

कार्य प्रगति पर है , असुविधा के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ l

नरपतगंज प्रखंड के पंचायत , राजस्व ग्राम

नरपतगंज प्रखंड के पंचायत , राजस्व ग्राम , कुल क्षेत्रफल , एवं HPN

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डीजल अनुदान

प्रिय किसान बंधू बिहार सरकार द्वारा प्रति वर्ष फसल पटवन हेतु डीजल अनुदान का योजना चलाया जा रहा है , इसमें प्रति एकड़ 350/ (तीन सौ पचास )रु० अनुदान का प्रावधान है l इस योजना का लाभ या अन्य किसी प्रकार की जानकारी हेतु अपने पंचायत के किसान सलाहकार या कृषि समन्यव्यक से सम्पर्क करे l अनुदान की राशि लाभुक के बैंक खाते में दिया जाता है l इस योजना का लाभ लेने हेतु निम्न दस्तावेज का होना आवश्यक है :- १. आवेदन प्रपत्र २. डीजल मेमो ३. किसान के नाम का लगान का अधतन रसीद ४. बैंक पासबुक

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mittibihar application

मृदा स्वास्थ्य कार्ड भारत सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है , इस योजना में राज्य एवं देश के सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना सरकार का लक्ष्य है ! इसमें जीपीएस आधारित ग्रिड सिस्टम से खेतों की मिट्टी संग्रहित कर प्रयोगशाला भेज जाता है , प्रयोगशाला में मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्त्व का जांच कर उर्वरक की उपयुक्त मात्रा बताई जाती है ताकि फसल को उपयुक्त पोषक तत्व मिल सके

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फसल क्षति आवेदन प्रपत्र

प्रकृति आपदा जैसे ओला वृष्टि , आंधी , अन उपयुक्त तापमान ,होने के यदि किसानो का फसल ३३% के अधिक नुकसान हो जाती है तो सरकार द्वारा फसल क्षति मुवावजा का प्रावधान किया गया गया है l किसान सलाहकार अथवा कृषि समन्यव्यक के विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है l

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वर्मी कम्पोस्ट

केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है। वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं। वर्मी कम्पोस्ट डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है। इसमें 2.5 से 3% नाइट्रोजन, 1.5 से 2% सल्फर तथा 1.5 से 2% पोटाश पाया जाता है।

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हरी खाद के रूप में ढैंचा का प्रयोग

उत्तरी भारत में हरी खाद के लिए ढैंचा सर्वाधिक लोकप्रिय एवं उत्तम दलहनी फसल है। यह फसल मिट्टी और जलवायु की विभिन्न परिस्थितियों के लिए अनुकूल है। इसे सूखा, जलभराव, लवणता आदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है। इस फसल की दो प्रजातियां सैसबेनिया एक्यूलेटा एवं सैसबेनिया रोस्ट्रेटा अपने शीघ्र खनिजकरण, उच्च नाइट्रोजन मात्रा तथा अल्प समय में वृद्धि के कारण बाद में बोई गई मुख्य फसल की उत्पादकता पर अच्छा प्रभाव डालती है। इनमें से सैसबेनिया एक्यूलेटा प्रजाति के पौधे आकार में सीधे व लम्बे एवं सूखे के प्रति सहनशील होते है

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सरसों के रोग एवं नियंत्रण

भारत में मूँगफली के बाद सरसों दूसरी सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है जो मुख्यतया राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल एवं असम में उगायी जाती है। सरसों की खेती कृषकों के लिए बहुत लोकप्रिय होती जा रही है क्योंकि इससे कम सिंचाई व लागत से अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है। इसकी खेती मिश्रित फसल के रूप में या दो फसलीय चक्र में आसानी से की जा सकती है। सरसों की कम उत्पादकता के मुख्य कारण उपयुक्त किस्मों का चयन असंतुलित उर्वरक प्रयोग एवं पादप रोग व कीटों की पर्याप्त रोकथाम न करना, आदि हैं। अनुसंधनों से पता चला है कि उन्नतशील सस्य विधियाँ अपना कर सरसों से 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है। फसल की कम उत्पादकता से किसानों की आर्थिक स्थिति काफी हद तक प्रभावित होती है। इस परिप्रेक्ष्य में यह आवश्यक है कि इस फसल की खेती उन्नतशील सस्य विधियाँ अपनाकर की जाये।

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मूंग की खेती

दलहनी फसलों में मूंग एक महत्वपूर्ण फसल है। पौष्टिक गुणवत्ता के कारण इसे अधिक पसंद किया जाता है। मूंग में प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट्स, खनिज तत्व एवं विटामिन्स भी होते हैं कम समय में ही पकने के कारण इसे बहुफसलीय चक्र में आसानी से सम्मिलित किया जा सकता है। मूंग की फसल से फलियों की तुड़ाई के बाद खेत में मिट्टी पलटने वाले हल से फसल को पलटकर मिट्टी में दबा देने से यह हरी खाद का काम करती है। मंूग की खेती करने से मृदा में उर्वराशक्ति में वृद्धि होती है। मूंग को खरीफ, रबी एवं जायद तीनों मौसम में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। सिंचाई की उपलब्धता के आधार पर जायद/ ग्रीष्मकाल में मूंग की खेती सफलतापूर्वक लाभकारी हो सकती है।

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फलदार पौधों में उर्वरक प्रबंधन

आजकल फलदार पौधों के उत्पादन पर इनके ऊर्जादायक एवं औषधीय प्रभाव वाले गुणों पर अधिक ध्यान है। फल विटामिन, प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्वों के सर्वोत्तम श्रोत होते हैं। फलों के बेहतर उत्पादन के लिए पौधों में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों की आपूर्ति करना आवश्यक है। पौधों के पोषक तत्व उन तत्वों को कहते हैं जिनकी कमी से पौधे अपना जीवन चक्र पूरा न कर सकें तथा पौधों के स्वास्थ्य पर जिनका सीधा योगदान हो। इन्हीं तत्वों के प्रयोग से ही इन तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है। इनकी संख्या 17 है इनमें 9 बहुत पोषक तत्व हैं और 8 सूक्ष्म पोषक तत्व हैं।

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10:30 AM - 12:30 PM
Meeting
Location: Dao office araria

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10:30 AM - 12:00 PM
First Panel
Location: Room 102, Room 103

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12:00 PM - 03:00 PM
Second Panel
Location: Room 102, Room 103

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04:15 PM - 05:00 PM
Conclusion
Location: Auditorium

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09:00 AM - 10:30 AM
Overview Of The Main Topics
Location: Auditorium

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10:30 AM - 12:00 PM
First Panel
Location: Room 102, Room 103

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12:00 PM - 03:00 PM
Second Panel
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